फिर वही रंग है और वही आवाज़ें हैं.
दिलने थामी है सांसो की हथेली;
और न जाने क्यों यह रास्तों पर;
फिर वही रुकते कदम, वही आहटें हैं.
घड़ी ने बदली है जो आज यह जिंदगी;
पर, बदलती करवटों में है;
फिर वही बेचैनी, वही तन्हाई है.
आसमान भी वही तारे, चाँद वही है;
पर जभ्भी देखूं तो वही फरिश्तों की उड़ान है,
फिर वही इबादत, वही बंदगी है.
इस गुलिस्तां की खुशबु में भी कभी,
दिलचश्प सा नशा था; पर अब,
फिर वही रंग है और वही आवाज़ें हैं.
हज़ारों है लब्ज़ों के मतलब यहाँ;
मगर फिर वही एक सी बातें, वही मतलबी अल्फ़ाज़ है.
धुंए की तरह उड़ जाते है यह शौख कहा.
फिर वही दिल है, वही सपने है.
न जाने क्यों इस तरह अनजान है हम सभी, पर
फिर वही रंग है और वही आवाज़ें हैं.
कैसी होती है चुभन, वह पहले कांटे की,
भले ही चोट लगे पीठ पर, मगर;
फिर वही सैलाव है, वही दर्द का पैगाम है.
ख्वाइशों से भी कभी हम बिछड़ गए थे;
दूरियां कम नहीं थी मगर;
फिर वही ज़िद, वही बढ़ती जिंदगी है.
दम निकल भी जाए तो डर नहीं क्योंकि;
फिर वही ज़िंदादिली, वही अंदाज़ है.
ढूंढकर देखो तो;
फिर वही रंग है और वही आवाज़ें हैं.
जिंदगी नई बन चुकी है, हां मगर वही आदतें;
फिर वही रूह, वही सासें हैं.
लम्हे बीते तो हैं मगर फिर वही यादों की कतारें है;
जिनमे ढूंढो तो मिले कुछ पल ऐसे जिनमे;
फिर वही आँखों की नमी, वही है.
तस्वीरों में ढूंढकर, कहीं तो मिलती है;
फिर वही दबी खुशियां, वही मुस्कुराहटें है.
यूँ तो उम्रने सीखा दिया है सबकुछ ही सही;
पर मिलती नहीं वो दोस्ती कहीं, जिनमे;
फिर वही रंग है और वही आवाज़ें हैं.
इस दास्तान में भी;
फिर वही रंग है,वही आवाज़ें हैं.
झाँक कर देखलो ज़रूर अपने भीतर ही सही;
फिर वही रंग है और वही आवाज़ें हैं.
— दिगंत सुरती
- यह मेरी पांचवी हिंदी-उर्दू में लिखी हुई कविता है, मुझे यक़ीन है की आपको यह कविता ज़रूर पसंद आई होगी. इसे पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
Proud of you my brother.. Superb work done…
Really deep thoughts..
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Thank you Ritika Didi
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Great poetry…deep enough to connect with us..
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Thanks Pawan
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